1 May | मई दिवस | मजदूर दिवस 2022 | अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस कब मनाया जाता है | जानिए क्या है इसका इतिहास और भारत में कैसे हुई इसकी शुरुवात


अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 2022

हर वर्ष पूरे विश्व में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे मजदूर दिवस या श्रमिक दिवस के अलावा मई दिवस, वर्कर डे, कामगार दिवस और लेबर डे के नाम से भी जानते हैं। 


पिछले कुछ दिनों से चल रही राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दिवस की श्रृंखला में आज हम बात करने वाले हैं- अंतर्राष्ट्रीय मजदूर अथवा श्रमिक दिवस की।




यह मजदूरों की उपलब्धियों को और देश के विकास में उनके योगदान को सलाम करने का दिन है। यह दिन मजदूरों के सम्मान, उनकी एकता और उनके हक के समर्थन में मनाया जाता है। दूनिया के लगभग 80 देशों में इस दिन को नेशनल हॉलिडे घोषित किया गया है। इस मौके पर मजदूर संगठनों से जुड़े लोग रैली व सभाओं का आयोजन करते हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज भी बुलंद करते हैं।


मजदूर का अर्थ 

मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैं, मजदूर एक मध्यम वर्गीय व्यक्ति या अमीर व्यक्ति भी हो सकता है। मजदूर सिर्फ पुरुष ही नही होता, महिला भी हो सकती है। मजदूर सिर्फ वयस्क ही नही होते, बच्चे भी हो सकते हैं।
हमारे समाज में मजदूर वर्ग को हमेशा गरीब इन्सान ही समझा जाता है, धुप में मजदूरी करने वालों को ही हम मजदूर समझते है।
जबकि मजदूर वह ईकाई है, जो किसी भी संस्था की सफलता का एक अभिन्न अंग हैं, फिर चाहे वो ईंट गारे में सना इन्सान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी। हर वो इन्सान जो किसी संस्था के लिए काम करता हैं और बदले में पैसे लेता हैं, वो मजदूर हैं


मजदूरों का महत्व 

महात्मा गांधी ने कहा था कि किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारों और किसानों पर निर्भर करती है। किसी संस्था या उद्योग में उद्योगपति, मालिक या प्रबंधक की भूमिका ठीक वैसी ही होती है, जैसे किसी राष्ट्र में सरकार की होती है। अर्थात जैसे किसी राष्ट्र में कोई सरकार उस राष्ट्र के विकास के लिए योजनाएं बनाती है परंतु उसे क्रियान्वित करने का कार्य प्रशासन में लगे हुए कर्मचारी ही करते हैं। ठीक वैसे ही किसी उद्योग में या किसी संस्था में योजनाएं बनाने का कार्य उस उद्योग के मालिक या प्रबंधक करते हैं परंतु उसे क्रियान्वित करने का कार्य उस उद्योग में लगे हुए कर्मचारी अर्थात मजदूर वर्ग ही करता है।


किसी भी उद्योग में कामयाबी के लिए मालिक, कामगार और सरकार अहम धड़े होते हैं। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता।


 लोकतंत्रीय ढांचो में तो सरकार भी लोगों की तरफ़ से चुनी जाती है, जनता ही राजनीतिक लोगों को अपने देश की बागडोर ट्रस्टी के रूप में सौंपती है। वह उस राज्य (अर्थात् उनका अधिकार क्षेत्र) को चलाने के लिए मज़दूरों, कामगारों और किसानों की बेहतरी, भलाई और विकास, अमन और कानूनी व्यवस्था बनाऐ रखने के लिए वचनबद्ध होते हैं। सरकार का रोल औद्योगिक शान्ति, उद्योगपतियों और मज़दूरों के दरमियान सुखदायक, शांतमयी और पारिवारिक संबंध कायम करना, झगड़े और टकराव की सूरत में उन का समझौता और सुलह करवाना और उनके मसलों को औद्योगिक ट्रिब्यूनल कायम कर निरपेक्षता और पारदर्शी ढंग से निष्पक्ष न्याय करना और उन की बेहतरी के लिए समय -समय से कानूनी और विवरण प्रणाली निर्धारित करना है।


आइए अब जानते हैं कि मजदूरों को समर्पित इस अंतरराष्ट्रीय दिवस की शुरुआत कैसे हुई और भारत में इसे कब से मनाया जाना शुरू हुआ? 


कैसे हुई अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस की शुरुआत 

अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन से हुई थी। इस आंदोलन में मजदूर अमेरिका में काम करने के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किए जाने की मांग कर रहे थे। तब अमेरिका में मजदूरों से रोजाना 15-15 घंटे काम लिया जाता था। साथ ही उनकी सुरक्षा का भी ध्यान नहीं रखा जाता था। उस समय काम के दौरान मजदूर को कई बार चोटें भी आती थी, कभी कभी तो इस वजह से कई लोगों की मौत भी हो जाया करती थी। काम के दौरान बच्चे, महिलाएं व् पुरुषों की मौत का अनुपात बढ़ता ही जा रहा था, जिस वजह से ये जरुरी हो गया था कि सभी लोग अपने अधिकारों के हनन को रोकने के लिए सामने आयें और एक आवाज में विरोध प्रदर्शन करें। इसी वजह से अमेरिका में इस श्रमिक आंदोलन की शुरुवात हुई थी। 


इस आंदोलन के दौरान 4 मई 1886 को शिकागो के हेमार्केट में अचानक किसी आदमी के द्वारा बम ब्लास्ट कर दिया जाता है, जिसके जवाब में कुछ मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी थी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें यह ऐलान किया गया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा। 



भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। यही वह मौका था जब पहली बार लाल रंग का झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। यह भारत में मजदूर आंदोलन की एक शुरुआत थी जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। इस पार्टी के लीडर सिंगारावेलु चेत्तिअर ने इस दिन को मनाने के लिए 2 जगह कार्यकर्म आयोजित किये थे। पहली मीटिंग ट्रिपलीकेन बीच में और दूसरी मद्रास हाईकोर्ट के सामने वाले बीच में आयोजित की गई थी। सिंगारावेलु ने यहाँ भारत के सरकार के सामने मांग रखी थी कि 1 मई को मजदूर दिवस घोषित कर दिया जाये। साथ ही इस दिन नेशनल हॉलिडे रखा जाये।


कैसे मनाया जाता है श्रमिक (मजदूर) दिवस

श्रमिक दिवस को ना सिर्फ भारत में बल्कि पुरे विश्व में श्रमिकों के शोषण के विरोध के रूप में मनाया जाता है। ऐसा तब होता है जब कामकाजी पुरुष व महिलाऐं अपने अधिकारों व हित की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करते हैं। विभिन्न श्रम संगठन एवं ट्रेड यूनियन अपने अपने लोगों के साथ इस प्रदर्शन में शामिल होते हैं। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर बच्चों के लिए तरह तरह की प्रतियोगितायें आयोजित की जाती हैं, जिससे वे इसमें आगे बढ़कर हिस्सा लें और एकजुटता के सही मतलब को समझ पायें। यही एकता ही वास्तव में श्रमिक दिवस का सही अर्थ है।  

इस दिन अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) मजदूरों के सम्मान में विभिन्न सम्मेलनों का आयोजन करता है (अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को स्थापित करने की दिशा में काम करती है।)


भारत में 1 May की अन्य महत्त्वपूर्ण घटनाएं

1 मई को ही महाराष्‍ट्र और गुजरात का स्‍थापना दिवस भी मनाया जाता है। भारत की आजादी के समय यह दोनों राज्‍य बॉम्‍बे प्रदेश का हिस्‍सा थे। 1 May 1960 को दोनों राज्यों को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता मिली थी। इसलिए महाराष्‍ट्र में इस दिन को महाराष्‍ट्र दिवस, जबकि गुजरात में इसे गुजरात दिवस के नाम से भी जाना जाता है।


ये भी पढ़ें: सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के स्थापना दिवस

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *