Earth Day 2022 | पृथ्वी दिवस 2022 की थीम क्या है | पृथ्वी दिवस क्यों मनाया जाता है | जानिए कब से हुई इसकी शुरुवात


Earth Day 2022: 
पृथ्वी दिवस थीम 2022

पृथ्वी दिवस: एक दिन पृथ्वी के लिए

पृथ्वी दिवस हर वर्ष 22 अप्रैल को दुनिया भर के लगभग 192 देशों में मनाया जाता है। इसके आयोजन के पीछे का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण एवं पृथ्वी की सुरक्षा के लिए जागरूक करना तथा उन्हें इनके महत्व से अवगत कराना था। इसकी शुरुआत 1970 में एक अमेरिकी सीनेटर के द्वारा पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गई थी। 

पृथ्वी दिवस थीम: 2022

इस वर्ष पृथ्वी दिवस के आरंभ हुए 52 वर्ष हो रहे हैं। हर साल पृथ्वी दिवस के मौके पर इस दिन के लिए अलग-अलग थीम निर्धारित की जाती है। जिसका उद्देश्य उस वर्ष लोगों को किसी विशेष थीम के जरिए पृथ्वी एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करना और उसके लिए किए जा रहे कार्यों में सहयोग करने के लिए प्रेरित करना होता है। 


पिछले वर्ष 2021 में पृथ्वी दिवस की थीम थी: Restore Our Earth.


इसी तरह इस वर्ष भी पृथ्वी दिवस के लिए एक नई थीम निर्धारित की गई है: Invest on Our Planet.


अर्थात इस वर्ष पृथ्वी दिवस आयोजन का उद्देश्य लोगों को पृथ्वी के संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों में अपना आर्थिक एवं शारीरिक सहयोग प्रदान करने के लिए प्रेरित करना है। 


उन कार्यों में और उन संगठनों में (जो पृथ्वी एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना योगदान दे रहे हैं) कुछ न कुछ आर्थिक सहयोग देना और न केवल आर्थिक सहयोग देना बल्कि शारीरिक एवं मानसिक सहयोग भी देना क्योंकि Invest on our Planet का अर्थ सिर्फ आर्थिक इन्वेस्टमेंट नहीं है। बल्कि हमें पर्यावरण और पृथ्वी संरक्षण के लिए जो भी कार्य किए जा रहे हैं, चाहे वो हमारे देश में हों, हमारे प्रदेश में हों या हमारे जिले में हों, उन्हें हम किसी न किसी प्रकार से अपना समय दें। अपना कुछ ना कुछ भाग उसमें लगाएं, धन से संभव न हो तो मन एवं तन से ही सही, मगर कुछ न कुछ योगदान अवश्य दें।

कब से हुई पृथ्वी दिवस की शुरुवात

पृथ्वी दिवस मनाने का विचार सर्वप्रथम अमेरिकी सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन के मन में आया था। उन्होंने इसकी घोषणा 1969 में की थी। सितम्बर 1969 में सिएटल, वाशिंगटन में आयोजित हुए एक सम्मलेन में विस्कोंसिन के अमेरिकी सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन घोषणा की कि 1970 की वसंत में पर्यावरण पर राष्ट्रव्यापी जन साधारण का प्रदर्शन किया जायेगा। सीनेटर नेल्सन ने पर्यावरण को एक राष्ट्रीय एजेंडा में जोड़ने के लिए पहले राष्ट्रव्यापी पर्यावरण आंदोलन की प्रस्तावना दी थी। उनका उद्देश्य लोगों को पृथ्वी के महत्व के प्रति जागरूक करना था।

 
उनके विचार पर 22 Apr 1970 को आयोजित हुए आंदोलन में 20 मिलियन (2 करोड़) अमेरिकी लोगों ने भाग लिया था, जिसमें समाज का हर वर्ग हर क्षेत्र शामिल था। बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों ने इसमें भाग लिया था। इसलिए यह आंदोलन आधुनिक समय के सबसे बड़े पर्यावरण आंदोलन के रूप में दुनिया के सामने आया था।

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पृथ्वी दिवस के लिए 22 अप्रैल तिथि का निर्धारण

आयोजन में पृथ्वी दिवस के लिए 22 अप्रैल को चुना गया था। 22 अप्रैल चुनने के पीछे का कारण यह बताया गया था कि उस समय इसे एक पर्यावरण शिक्षा के विषय के रूप में शामिल किया जाना था, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को अर्थात आने वाली पीढ़ियों को पृथ्वी के संरक्षण एवं महत्व के लिए जागरूक करना था। चूंकि इस समय उत्तरी गोलार्ध में बसंत और दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है और यह एक ऐसा समय होता है, जिस समय पूरे विश्व में विद्यार्थी विद्यालयों में ही होते हैं, कहीं भी किसी प्रकार की छुट्टियां नहीं चल रही होती हैं। साथ ही इस समय किसी कार्यालय में भी छुट्टियां नहीं चल रही होती हैं। इसलिए अधिक से अधिक संख्या में लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा सकता था। 

हालांकि कुछ लोग 22 अप्रैल की तिथि को चुनने के पीछे अन्य कारण भी बताते हैं। जैसे कुछ वर्ग ऐसा भी है जो यह मानता है कि 22 अप्रैल की तिथि इस लिए चुनी गई क्योंकि 1970 में 22 अप्रैल को लेनिन का 100वां जन्म दिवस मनाया जा रहा था।


जबकि कुछ वर्ग ऐसा भी है जो 22 अप्रैल की तिथि को चुनने के पीछे का कारण यह बताता है कि उस समय के एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद् का जन्मदिन भी 22 अप्रैल को ही था। हालांकि कारण जो भी हो परंतु इस पर अभी तक कोई भी एक मत नहीं हो सका है।



पृथ्वी दिवस क्यों मनाया जाता है?

औद्योगिक क्रांति के बाद से ही दुनिया भर के तमाम देशों, तमाम वैज्ञानिकों ने भौतिक विकास के नाम पर प्रकृति का अत्यधिक शोषण किया है और आज भी इस होड़ में लोग उसी प्रकार से लगे हुए हैं कि भौतिक प्रगति, भौतिक उन्नति और भौतिक विकास के नाम पर लगातार पृथ्वी के प्राकृतिक घटकों का दोहन किया जा रहा है। 


इन सब को देखते हुए कुछ पर्यावरणविदों को पृथ्वी के भविष्य और आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी की स्थिति के बारे में चिंता हुई। उन दशकों में अनेक देशों में अनेक जगहों पर पर्यावरण प्रेमियों द्वारा बड़े स्तर पर आंदोलन चलाए गए।


जिन का परिणाम है कि आज वैज्ञानिक वर्ग से लेकर जनसामान्य तक लोग पर्यावरण के प्रति चिंतित हो रहे हैं। पृथ्वी की सुरक्षा को लेकर कुछ गंभीर होते नजर आ रहे हैं परंतु यह सब भी तब शुरू हो रहा है जब हम आज जगह-जगह देखते हैं- कहीं अभूतपूर्व अत्यधिक गर्मी पड़ती है तो कहीं अनपेक्षित वर्षा हो जाती है। कहीं असमय वर्षा हो जाती है तो कहीं सूखा पड़ जाता है। आज हम पूरे विश्व में देख रहे हैं कि हर वर्ष नदियों में आने वाली बाढ़ की आवृत्ति बढ़ रही है, बर्फीले क्षेत्रों की बर्फ लगातार पिघलती जा रही है, उनके आयतन लगातार कम हो रहे हैं। 


दुनिया भर में स्वच्छ पानी के स्रोत ग्लेशियर लगातार पिघलते जा रहे हैं, समुद्रों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। ये सारी घटनाएं जलवायु परिवर्तन का ही उदाहरण हैं।


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इन सब का कारण पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में लगातार हो रही वृद्धि है, जिसका मूल कारण ग्लोबल वार्मिंग है, जिसके लिए जिम्मेदार औद्योगिक क्रांति के बाद से ही पूरे विश्व में विशेषकर पश्चिमी जगत में उद्योगों एवं कारखानों की स्थापना की मची हुई होड़ थी,  जिनमें विकास के नाम पर बड़े बड़े उद्योग लगाए जा रहे थे और आज भी उसी प्रकार से लगाए जा रहे हैं और इनमें ईंधन के रूप में अत्यंत प्रदूषणकारी ईंधनों कोयला, पेट्रोलियम आदि का प्रयोग किया जाता है, जिनसे अत्यधिक मात्रा में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। 


इन्हीं ग्रीन हाउस गैसों के कारण पृथ्वी पर ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न हो रहा है, जिसके कारण संपूर्ण मानव जगत के सामने ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या उत्पन्न हो गई है।


इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुए 1970 में पर्यावरण प्रेमियों के द्वारा 1 दिन पृथ्वी के लिए भी निर्धारित करने की बहस हुई और उसी आधार पर वाशिंगटन में आयोजित हुए एक सम्मेलन में 22 अप्रैल को हर वर्ष दुनिया भर में पृथ्वी दिवस मनाये जाने का फैसला किया गया। जिसका उद्देश्य विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति पृथ्वी के महत्व के प्रति जागरूक करना था। 


उस समय इस दिवस को मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई थी परंतु यदि आज की परिस्थितियों में बात की जाए तो यह लगभग 192 से अधिक देशों में मनाया जाता है।


 

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