National Civil Service Day 2022:
सिविल सेवा दिवस कब मनाया जाता है
हर वर्ष की तरह इस बार भी 21 April को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस पूरे देश में मनाया जा रहा है। हमारे आपके जैसे सामान्य नागरिकों के लिए भले ही इसका कोई महत्त्व न हो, परंतु देश में लोक सेवा के अंतर्गत कार्य करने वाले समस्त लोक सेवकों के लिए इस दिन का बहुत ही अधिक महत्त्व है।
भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अधिकतर छात्रों का सपना होता है कि वह भी देश की सबसे कठिन माने जाने वाली संघ लोक सेवा आयोग की इस परीक्षा में सफल होकर देश के विभिन्न हिस्सों में सिविल सर्विस अधिकारी के रूप में कार्य कर सकें, देश के विकास में और समाज की सेवा में अपना योगदान दे सकें। 21 अप्रैल का यह दिन उन्ही सिविल सेवकों के लिए समर्पित है।
यह सिविल सेवकों के लिए नागरिकों के लिए खुद को फिर से समर्पित करने और सार्वजनिक सेवा और काम में उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को नवीनीकृत करने के अवसर के रूप में मनाया जाता है।
यह दिन उन लोक सेवकों को समर्पित है जो कि देश की प्रगति के लिए कार्य करते हैं, साथ ही नीति निर्माण में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। सिविल सेवकों के योगदान को शब्दों में बयां करना इतना आसान नहीं है इसलिए प्रतिवर्ष इस दिन को सिविल सेवकों को समर्पित किया जाता है। उनके सराहनीय कार्यों के लिए इस दिन उन्हें सम्मानित भी किया जाता है।
सिविल सेवा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम
इस दिन देश के कई स्थानों पर लोक सेवकों के सम्मान के लिए और देश के विकास तथा इसके पुनर्निर्माण में उनके योगदान को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक कार्यक्रम किए जाते हैं।
विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भी सिविल सेवा दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 21 अप्रैल, 2022 को सुबह 11 बजे लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार प्रदान करेंगे। वे कार्यक्रम के दौरान हर बार की तरह इस बार भी सिविल अधिकारियों को संबोधित भी करेंगे। पिछले संबोधनों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिविल सेवा दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रमों में सभी सिविल अधिकारियों की कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में भागीदारी को सराहा था।
प्रधानमंत्री पुरस्कार सिविल सेवकों को एक-दूसरे से जुड़ने और लोक शिकायत के क्षेत्र में देश भर में लागू की जा रही अच्छी प्रथाओं को सीखने के लिए एक साथ लाते हैं। इससे अधिकारियों में बेहतर प्रदर्शन करने की भावना तो आती ही है, साथ ही बदलते समय एवं नई चुनौतियों से निपटने के लिए उन्हें अपनी नीतियों पर मनन करने का अवसर भी मिलता है।
राष्ट्रीय लोक सेवा दिवस (सिविल सर्विस डे) के अवसर पर केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को उनके द्वारा वर्षभर में किए गए असाधारण कार्यों के लिए सम्मानित किया जाता है। इस दिन अधिकारी मिलकर आने वाले सालों की योजना पर भी विचार करते हैं एवं उनपर विभिन्न मतों को प्रकट करते हैं। कई संस्थानों में सिविल अधिकारियों को बतौर अतिथि आमंत्रित किया जाता है, जहां पर वे अपने कार्य से जुड़े अनुभवों को बांटते हैं।
पहला सिविल सेवा दिवस कब मनाया गया था?
सिविल सेवा दिवस पर पहला समारोह 2006 में विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सिविल सेवकों को संबोधित भी किया था।
सिविल सेवा दिवस क्यों मनाया जाता है?
यह तारीख उस दिन को मनाने के लिए चुनी जाती है जब स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1947 में मेटकाफ हाउस, दिल्ली में प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के पर्यवेक्षकों को संबोधित किया था। इसी दिन उन्होंने आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना की थी, इसलिए उन्हें ‘भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत’ के रूप में भी याद किया जाता है।
उन्होंने सिविल सेवकों को अतीत के अनुभव को पीछे छोड़ते हुए राष्ट्रीय सेवा को अच्छे से करने की भावना पर भाषण दिया था। इसी दिन उन्होंने सिविल सेवकों को देश की स्टील फ्रेम कहकर संबोधित भी किया था। 2006 में इसी दिन विज्ञान भवन, नई दिल्ली में एक विशाल समारोह सिविल अधिकारियों के लिए आयोजित किया गया था। इसके बाद से ही प्रतिवर्ष 21 अप्रैल को राष्ट्रीय लोक सेवा दिवस या नेशनल सिविल सर्विस डे के रूप में मनाया जाने लगा।
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य भारतीय प्रशासनिक सेवा, राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों द्वारा अपने आप को नागरिकों के लिए एक बार पुनः समर्पित और फिर से वचनबद्ध करना है। यह दिन सिविल सेवकों को बदलते समय के चुनौतियों के साथ भविष्य के बारे में आत्मनिरीक्षण और सोचने का अवसर प्रदान करता है।
भारत में कैसे हुई सिविल सर्विस की शुरुवात
सिविल सर्वेंट शब्द सर्वप्रथम भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के दौरान प्रचलन में आया था। कंपनी के कर्मचारी कंपनी के अधीन देश के विभिन्न हिस्सों में नागरिक सेवा अधिकारी के रूप में तैनात थे, जिनका कार्य कंपनी की योजनाओं को जमीन पर उतारना होता था। ब्रिटिशर्स इन्हें सिविल सर्वेंट अर्थात लोक सेवक कहकर पुकारते थे।
भारत में इन सेवाओं की शुरुआत वॉरेन हेस्टिंग्स के द्वारा की गई थी। उसके पश्चात चार्ल्स कॉर्नवॉलिस ने इनमें कुछ महत्त्वपूर्ण सुधार किए, जिससे वे भारत में ‘नागरिक सेवाओं के पिता’ कहलाए।
सिविल सेवा के अधिकारी किसी भी राजनीतिक सत्तारूढ़ पार्टी के लिए कोई प्रतिज्ञा नहीं लेते हैं, लेकिन सत्तारूढ़ राजनीतिक दल की नीतियों के निष्पादक जरूर होते हैं अर्थात् देश या प्रदेश में सरकार किसी भी राजनीतिक पार्टी की हो, परंतु उस सरकार को चलाने और उसकी नीतियों को जमीन पर उतारने का कार्य सिविल अधिकारी ही करते हैं।