सनातन धर्म: धर्म किसी व्यक्ति या समुदाय के लिए परिवर्तित नहीं होता, धर्म केवल परिस्थितियों के अनुसार और पद की आवश्यकताओं के अनुरूप ही परिवर्तित होता है। व्यक्ति कोई भी हो, समुदाय कोई भी हो, किसी एक समान परिस्थिति में उसका धर्म एक ही होगा। हां, उसकी संस्कृति, उसकी विचारधारा, उसके रहन-सहन के तरीके, खानपान, वेशभूषा, बोली, भाषा ये सभी चीजें अलग अलग हो सकती हैं, किंतु धर्म नही। क्योंकि किसी परिस्थिति में किसी व्यक्ति अथवा समुदाय के लिए उसका कर्तव्य, उसका फर्ज और उसका कर्म ही उसका धर्म होता है।
सनातन धर्म का मूल स्वरूप क्या है | समाज में सांप्रदायिकता क्यों बढ़ रही है
