UPSSSC UP Lekhpal 2022 | हिंदी मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ Part 4 for up lekhpal 2022


UPSSSC UP Lekhpal 2022

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, उत्तर प्रदेश (UPSSSC) ने लंबे अंतराल के बाद हो रही समूह ‘ग’ की बहुप्रतीक्षित भर्ती UP Lekhpal 2022 की मुख्य परीक्षा (Mains) की तिथि का निर्धारण कर दिया है। पहली बार नए पैटर्न पर हो रही इस भर्ती की मुख्य परीक्षा के लिए 19 जून की तिथि निर्धारित की गई है। 

इससे पहले वर्ष 2021 में ही इसके लिए प्रारंभिक परीक्षा PET-2021 हो चुकी थी, जिसके बाद से ही इसके प्रतिभागियों में इसकी मुख्य परीक्षा के लिए उत्सुकता बनी हुई थी। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग उत्तर प्रदेश ने जनवरी माह में ही इस भर्ती का विज्ञापन निकाला था, जिसके बाद चुनावों के कारण आचार संहिता लग जाने की वजह से इसकी मुख्य परीक्षा में देरी हो रही थी। 

अब चुनावों के बाद आयोग ने इसकी मुख्य परीक्षा के लिए तिथि निर्धारित कर दी है। जिसके बाद से ही यूपी राजस्व लेखपाल की तैयारी करने वाले प्रतिभागी मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं। 


उन्ही प्रतिभागियों की तैयारी में सहयोग करने की भावना से हमने हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण मुहावरों एवं लोकोक्तियों का संग्रह कर इनकी एक श्रृंखला को प्रारंभ किया है। इसी कड़ी में कुछ महत्वपूर्ण मुहावरों एवं लोकोक्तियों को हमने इस आलेख में शामिल किया है, जो इस श्रृंखला का Part 4 है। इसके अलावा इसके अन्य पार्ट भी उपलब्ध हैं जिनका लिंक इसी आलेख में मिल जायेगा। 






आइए सबसे पहले ये जान लेते हैं कि मुहावरे और लोकोक्तियाँ क्या हैं?


मुहावरे क्या होते हैं?

किसी बात में विशेष अर्थ प्रकट करने वाले वाक्यांश को मुहावरा कहते हैं। हिंदी भाषा हो, अंग्रेजी हो या कोई अन्य भाषा हो, सभी भाषाओं में मुहावरे एवं लोकोक्तियां प्रयोग की जाती हैं। इनके प्रयोग से भाषा में सजीवता एवं सरसता का भाव उत्पन्न होता है। इन्हे आम बोलचाल में अधिक प्रयोग किया जाता है। इनके प्रयोग से बातचीत अधिक सजीव और रुचिकर प्रतीत होती है।
इसी प्रकार लोकोक्तियाँ भी हैं।


लोकोक्तियाँ क्या होती हैं?

लोकोक्तियां मुहावरों की अपेक्षा सांस्कृतिक रूप से अधिक विशेष होती हैं। ये किसी भाषा को बोलने वाले लोगों की पारस्परिक एवं सांस्कृतिक विरासत होती है। यह इतिहास में घटित हुई किन्ही विशिष्ट घटनाओं एवं परिस्थितियों के फलस्वरुप उत्पन्न होती हैं और फिर भाषा के माध्यम से उस स्थान विशेष या उस काल विशेष में प्रचलित हो जाती हैं अर्थात लोकोक्तियां किसी समाज का भाषाई इतिहास होती हैं। इसलिए लोकोक्तियों के माध्यम से किसी समाज का सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं व्यवहारिक अध्ययन किया जा सकता है।



हिंदी मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ तथा उनके अर्थ: Part 4 

जमीन आसमान एक करना– कोई भी उपाय न छोड़ना। 
जी जान से खेलना– जीवन की परवाह न करना।
जी नहीं भरना– सन्तोष नहीं होना।
जंजाल में फंसना– झंझट में पड़ना।
जलती आग में घी डालना– विवाद बढ़ाना या उद्दीप्त करना ।
जली-कटी सुनाना– डाँट फटकार/उल्टा-सीधा बोलना। 
जी भर आना– दया उत्पन्न होना/दया उमड़ना ।
जीभ उखाड़ना– कठोर दंड देना।
जीवट का आदमी– साहसी आदमी। 
जूती की नोक पर मारना – कुछ न समझना।
जंगल में मोर नाचा किसने देखा– गुण की कदर गुणवानों के बीच ही होती है।
जाके पाँव न फटी बिवाई सो क्या जाने पीर परायी– भुक्तभोगी ही दूसरों का दुःख जान पाता है।
जैसा देश वैसा भेष– परिस्थिति के अनुसार ढल जाना। 
जौहर खुलना– गुण प्रकट होना।
झड़बेरी का काँटा– बहुत झगड़ालू आदमी।
झंडा ऊँचा होना– जीत होना।
झंडे तले आना– समर्पण करना।
झांसा देना– धोखा देना।
झाडू फेरना– नष्ट करना।
झंडा गाड़ना– अधिकार जताना। 
झोपड़ी में रहे महलों के ख्वाब देखना– औकात से बहुत ज्यादा की चाह।
झक मारना– विवश होना।
टस से मस न होना– पूर्ण स्थिर रहना/विचलित न होना। 
टट्टी की ओट शिकार– छिपकर बुरा काम करना ।
टका-सा जवाब देना– इन्कार कर देना/स्पष्ट उत्तर देना।
टेढ़ी खीर– कठिन कार्य। 
टका-सा मुँह लेकर रह जाना– लज्जित होना।
टाट उलटना– दिवाला निकलना।
टेढ़ी आँख से देखना – क्रूर या शत्रुतापूर्ण दृष्टि से देखना। 
टाँग अड़ाना– अनावश्यक रूप से बाधा उपस्थित करना।
टाँय-टाँय फिस्स होना– बुरी तरह असफल होना।
 
ठोकरें खाना- कष्ट उठाना।
टाँग मारना– विघ्न डालना।
डूबते को तिनके का सहारा– असहाय को थोड़ी सहायता प्राप्त होना।
डकार जाना– माल पचा जाना।
डपोरशंख होना- डींग मारना।
डेढ़ पाव आटा पुल पै रसोई– थोड़ी सम्पत्ति पर भारी दिखावा। 
डायन को दामाद प्यारा– अपना सबको प्यारा होता है। 
डंके की चोट पर कहना– स्पष्ट घोषणा करना।
डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाना– मिलकर कार्य न करना/पृथक् राय रखना।
डावांडोल होना– अव्यवस्थित होना।
डूबती नाव पार लगाना – संकट से छुड़ाना।
तीन-पाँच करना– टाल मटोल करना।
तोते उड़ जाना— घबड़ा जाना।
तेवर बदलना– काम निकल जाने पर रुख बदल लेना। 
तारीफ के पुल बाँधना– अत्यधिक प्रशंसा करना।
तिनके का सहारा– थोड़ा-सा सहारा।
तारे तोड़ लाना– असम्भव कार्य करना।
तारे गिनना– चिन्ता में रात बिताना। 
ताक पर धरना– न मानना/पड़ा रहने देना/काम में न लाना।
तार-तार होना– पूरी तरह बिखर जाना/फट जाना। 
त्यौरी चढ़ाना– क्रुद्ध होना।
तबले की बला बन्दर के सिर– किसी के दोष को अन्य पर आरोपित करना।
ताल ठोकना– ललकारना।
तन पर नहीं लत्ता, पान खाय अलबत्ता– झूठी रईसी दिखाना। 
तीन कनौजिया तेरह चूल्हा– बेकार का बखेड़ा करने वाले।
थूक कर चाटना– वादे से मुकर जाना/न करने की बात कहकर फिर वही करना।
थका ऊँट सराय ताकता – थकने पर विश्राम चाहिए।
दूध की मक्खी– बेकार चीज
दूध की बू मुँह से आना– अनुभवहीन होना।
दिन में तारे दिखाई देना– अत्यधिक कष्ट होना।
दूध की लाज रखना– इज्जत की रक्षा करना।
दूध के दाँत न टूटना – अनुभवहीन होना।
दूधो नहाओ, पूतो फलो– धन एवं संतान की वृद्धि।
द्रौपदी का चीर होना–अन्त न होना।
दिन-रात एक करना– लगातार प्रयास या परिश्रम करना ।
दुधारी तलवार कलेजे पर फेरना– दोहरा दुःख देना।
दूध का धोया– निर्दोष या निष्कलंक होना।
दाद देना– प्रशंसा करना। 
दूध की नदियाँ बहाना–धन-धान्य से सम्पन्न होना।
दिन दूना, रात चौगुना बढ़ना– अप्रत्याशित वृद्धि।
दाल में काला होना– सन्देह की बात होना।
दाँत कुरेदने को तिनका तक न होना– सर्वस्व गवाँ देना। 
दाँत से कौड़ियां पकड़ना– बहुत अधिक कंजूसी करना।
दाँत खट्टे करना– पराजित करना। 
दूज का चाँद होना– कम दिखाई देना।
दूसरे के कन्धे पर बन्दूक चलाना -दूसरे के सहारे कार्य सम्पादित करना।
देसी घोड़ी लाल लगाम– बेमेल बात।
दाँत काटी रोटी होना– गहरी दोस्ती ।
दाँतों में तिनका लेना– दया करने के लिए विनती करना / अधीनता स्वीकार करना।
दाग लगाये लंगोटिया यार– व्यक्ति अपनों से ही धोखा खाता है।
दरकिनार कर देना– अलग-थलग कर देना।
धाक जमाना– प्रभुत्व स्थापित करना।
धूल में मिलना– बर्बाद होना।
धूल फाँकना– मारे-मारे फिरना।
धरती पर पाँव न रखना– घमंड से चूर रहना ।
धूप में बाल सफेद करना– अनुभवहीन होना।
धज्जियाँ उड़ाना– बुरी तरह परास्त करना।
नींव का पत्थर– स्थायी आधार।
नाक पर मक्खी न बैठने देना– सम्मान की सम्यक् रक्षा करना।
निन्यानबे के फेर में पड़ना– धन-संग्रह की चिन्ता में पड़ना।
नमक अदा करना – उपकारों का बदला चुकाना।
नयन लगना– प्रेम होना।
नाई देख हजामत बढ़ना– किसी वस्तु को देख उसकी आवश्यकत प्रतीत होना।
नामलेवा न पानीदेवा– खानदान में सभी का मर जाना।
नशा उतरना–वास्तविकता का ज्ञान होना।
नदी नाव संयोग–अप्रत्याशित मिलन।
नहले पर दहला मारना– करारा जवाब देना।
नयनों से रक्त की धार बहना– कठिन दुःख होना।
नाक पर सुपारी तोड़ना– बहुत तंग करना।
नंगे बड़े परमेश्वर से– निर्लज्ज से सभी डरते हैं।
नाक रगड़ना– खुशामद करना।
नेकी और पूछ-पूछ– बिना कहे ही भलाई करना। 
नाम बड़े और दर्शन छोटे– प्रसिद्धि के अनुरूप गुण न होना।
न अन्धे को न्योता देते न दो जने आते– गलत आदमी को बुलावा देना।
नयी घोसन उपलों का तकिया– नये शौकीन अटपटा कार्य करके अपनी मूर्खता प्रकट करते हैं।
प्राणों पर खेलना– प्राणों की परवाह न कर खतरे में पड़ना।
पाजामे से बाहर होना– अत्यधिक रोष प्रकट करना / क्रुद्ध होना । 
पापड़ बेलना– कष्ट सहना ।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे– दूसरों को उपदेश देना सरल है।
पत्थर पसीज उठना- निर्दयी को दया आना।
पत्थर तले से हाथ निकलना– भारी संकट से छुटकारा पाना।
पत्थर में दूब जमना– असम्भव का सम्भव होना।
पाँव भारी होना– गर्भवती होना।
पेट में चूहे कूदना– बहुत भूख लगना।
पट्टी पढ़ाना– गलत राय देना/भुलावा देना।
पाँव उखड़ जाना– हारकर भाग जाना।
पीठ दिखाना– भाग खड़ा होना।
पत्थर की लकीर– अमिट / पक्की बात।
पाँचों उंगलियाँ घी में होना– लाभ ही लाभ होना।
पलक न पसीजना– अत्यन्त कठोर हृदय होना।
प्राण पखेरू उड़ जाना– मर जाना।
प्रभुता पाइ जाहि मद नाहीं- अधिकार पाकर व्यक्ति घमंडी हो जाता है।
पुचकारा कुत्ता सिर चढ़े– ओछे लोग मुँह लगाने पर अनुचित लाभ उठाते हैं।
पाँव फूंक-फूंक कर रखना– अत्यन्त सावधानी बरतना।
पीठ में छुरा घोंपना– धोखा देना।
पहाड़ टूट पड़ना— अचानक विपत्ति का आना।
फूल नहीं पंखुड़ी ही सही– अधिक नहीं, थोड़ा ही सही। 
फूटी आँख न देखना– बुरा लगना।
फूला न समाना- अति प्रसन्न होना।
फूलना–फलना– उन्नति करना।
बत्तीसी बन्द होना– उदास हो जाना/बोल न निकलना।
बाग-बाग होना– बहुत प्रसन्न होना।

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