
UPSSSC UP Lekhpal Examination 2022
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, उत्तर प्रदेश (UPSSSC) ने बहुप्रतीक्षित UP Lekhpal 2022 की मुख्य परीक्षा (Mains) की तिथि का निर्धारण कर दिया है। पहली बार नए पैटर्न पर हो रही इस भर्ती की मुख्य परीक्षा के लिए 19 जून की तिथि निर्धारित की गई है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग उत्तर प्रदेश ने जनवरी माह में ही इस भर्ती का विज्ञापन निकाला था, जिसके बाद चुनावों के कारण आचार संहिता लग जाने की वजह से इसकी मुख्य परीक्षा में देरी हो रही थी। अब चुनावों के बाद आयोग ने इसकी मुख्य परीक्षा के लिए तिथि निर्धारित कर दी है। जिसके बाद से ही यूपी राजस्व लेखपाल की तैयारी करने वाले प्रतिभागी मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं।
उन्ही प्रतिभागियों की तैयारी में सहयोग करने की भावना से हमने आज हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण मुहावरों एवं लोकोक्तियों का संग्रह कर इनकी एक श्रृंखला को प्रारंभ किया है। इसी कड़ी में कुछ महत्वपूर्ण मुहावरों एवं लोकोक्तियों को इस आलेख में शामिल किया है, जो इस श्रृंखला का Part 2 है। इसके अलावा इसके अन्य पार्ट भी उपलब्ध हैं जिनका लिंक इसी आलेख में मिल जायेगा।
मुहावरे क्या होते हैं?
किसी बात में विशेष अर्थ प्रकट करने वाले वाक्यांश को मुहावरा कहते हैं। हिंदी भाषा हो, अंग्रेजी हो या कोई अन्य भाषा हो, सभी भाषाओं में मुहावरे एवं लोकोक्तियां प्रयोग की जाती हैं। इनके प्रयोग से भाषा में सजीवता एवं सरसता का भाव उत्पन्न होता है। इन्हे आम बोलचाल में अधिक प्रयोग किया जाता है। इनके प्रयोग से बातचीत अधिक सजीव और रुचिकर प्रतीत होती है।
इसी प्रकार लोकोक्तियाँ भी हैं।
लोकोक्तियाँ क्या होती हैं?
लोकोक्तियां किसी भाषा को बोलने वाले लोगों की पारस्परिक एवं सांस्कृतिक विरासत होती है। यह इतिहास में घटित हुई किन्ही विशिष्ट घटनाओं एवं परिस्थितियों के फलस्वरुप उत्पन्न होती हैं और फिर भाषा के माध्यम से उस स्थान विशेष या उस काल विशेष में प्रचलित हो जाती हैं अर्थात लोकोक्तियां किसी समाज का भाषाई इतिहास होती हैं। इसलिए लोकोक्तियों के माध्यम से किसी समाज का सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं व्यवहारिक अध्ययन किया जा सकता है।
हिंदी मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ तथा उनके अर्थ: Part 2
एक हाथ से ताली न बजना- एक पक्ष से कुछ नहीं होता।
एक न चलना– सामर्थ्य से परे।
एक तो चोरी, दूसरे सीना जोरी– गलती करके रोब गाँठना।
औंधे मुँह गिरना– धोखा खाना।
औने-पौने करना– मनमाने दाम पर बेचना।
एक की चार लगाना– छोटी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
एक आँख न भाना– थोड़ा भी अच्छा न लगना।
ऐसी-तैसी करना– अपमानित करना ।
ऐंठकर रह जाना– मन-मसोस कर रह जाना।
ओले पड़ना– विपत्ति आना।
ओंठ चबाना– क्रोधित हो उठना।
ओर-छोर न मिलना– भेद का पता न चलना।
ओस पड़ जाना– कुम्हला जाना या लज्जित हो जाना।
ओस के चाटे प्यास नहीं बुझती– बड़ी आवश्यकता छोटी वस्तु से पूर्ण नहीं होती।
ओंठ तक न हिलना– मुख से शब्द न निकलना।
ओंठ बिचकाना– घृणा प्रकट करना।
और का और होना– कुछ का कुछ होना।
और ही रंग खिलाना– कुछ विचित्र करना।
औंधी खोपड़ी का होना– मूर्ख होना ।
अंक भरना– स्नेह से लिपटा लेना।
अंग-अंग ढीला होना– थक जाना ।
अंग में अंग न समाना– अत्यन्त प्रसन्न होना।
अंगारों पर पैर रखना– खतरनाक कार्य करना।
अंगारे उगलना– क्रोध में कठोर वचन बोलना।
अंजर-पंजर ढीला होना– दुर्बल हो जाना।
अंतड़ियों का बल खोलना– बहुत दिनों के बाद भोजन प्राप्त होने पर भरपेट खाना।
कमर खोलना – आराम करना।
कमर बाँधना – तैयार होना।
कमर सीधी करना– आराम करना ।
करेगा सेवा खायेगा मेवा – अच्छे और गुणियों की सेवा का फल हमेशा अच्छा होता है।
कलेजे पर साँप लोटना– ईर्ष्या या जलन होना।
कलेजे पर पत्थर रखना– मुश्किल से धैर्य धारण करना।
कच्ची गोटी खेलना– असफल प्रयास / अनुभवहीन।
कफन से सिर बाँधना– हर तरह की बाधा झेलने के लिए तत्पर।
कटकर रह जाना– अत्यन्त लज्जित होना।
कन्धे से कन्धे मिलाना– पूर्ण रूप से सहयोग देना।
कन्धा डालना– हार मान लेना।
कन्धा लगाना– सहारा बनना।
कहकहा मारना– खूब जोर से हँसना।
कदम पर कदम रखना– अनुसरण करना।
कलेजा थामकर रह जाना– मन-मसोस कर रह जाना।
कल पड़ना-चैन मिलना।
कल्पना के घोड़े दौड़ाना– बिना सिर-पैर की बात करना।
कलेजा दो टूक होना– बहुत दुःखी होना ।
कलेजा मुँह को आना– दुःख होना।
कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना, कभी वह भी मना–व्यक्ति की स्थिति सदा समान नहीं रहती।
कौआ चला हंस की चाल – अन्ध अनुकरण करना।
कूद-कूद मछली बगुले को खाय– बिल्कुल विपरीत कार्य होना।
काम का न काज का दुश्मन अनाज का– बिना काम किये बैठे-बैठे खाना।
कान पर जूँ न रेंगना– किसी बात पर ध्यान न देना।
काजल की कोठरी– कलंकित होने का स्थान।
काटो तो खून नहीं– बहुत डर जाना।
कागज की नाव– अस्थायी वस्तु ।
कान पकड़ना– गलती स्वीकार करना।
कान में तेल डाले बैठना– अनसुनी कर देना।
कागज काले करना– व्यर्थ लिखना।
कान खाना– ज्यादा बातें करके कष्ट पहुँचाना।
काबुल में क्या गधे नहीं होते- अच्छे स्थान पर बुरे लोग भी होते हैं।
कान फूँकना– चुपके से कह देना।
कान लगाना– ध्यान देना।
काठ का उल्लू– बड़ा मूर्ख।
कागजी घोड़े दौड़ाना– खूब लिखा-पढ़ी करना।
काफूर होना– गायब होना।
काया पलट जाना— भारी परिवर्तन होना।
कोठी वाला रोये छप्पर वाला सोये– अधिक समृद्धि भी दुखदायी होती है।
किये कराये पर पानी फेरना– बिगाड़ देना।
कौवे उड़ाना– निकृष्ट कार्य करना।
किताब का कीड़ा होना– अधिक पढ़ने वाला।
कुत्ते की चाल जाना, बिल्ली की चाल आना– बहुत जल्द जाना आना।
कुम्हड़े की बतिया– कोमल और अशक्त व्यक्ति।
कुल्हिया में गुड़ फोड़ना– छिपाकर काम करना।
कूच कर जाना– प्रस्थान कर जाना।
कूप मण्डूक– संकुचित ज्ञान वाला।
कीचड़ उछालना– बदनाम करना।
कौड़ी के मोल बिकना– बेकार।
कुआँ खोदकर पानी पीना– जीविका हेतु श्रम करना।
कुएँ में बाँस डालना– बहुत खोज करना ।
कलेजा दूना होना– साहस बढ़ना।
कलेजा थामकर बैठना– बड़े इत्मीनान के साथ बैठना।
काँटों पर लोटना– दुःख से लड़ना।
कानों-कान खबर न होना– किसी को जानकारी न होना।
काशी करवट लेना– कठोर से कठोर दुःख सहना।
काठ की पुतली होना- शक्तिहीन होना।
कान खड़े होना- भयभीत होना/चौकन्ना होना।
कै हंसा मोती चुगै कै भूखा रह जाय– प्रतिष्ठा के विरुद्ध कार्य न करना।
कैफियत तलब करना– कारण पूछना।
काले के आगे दीया नहीं जलता– बलवान के आगे किसी का वश नहीं चलता।
कोयल होय न उजली सौ मन साबुन लाई- कितना भी प्रयत्न किया जाय स्वभाव नहीं बदलता।
कोढ़ी डरावे थूक से– निर्बल, थोथे आचरण से दूसरों को डराते हैं।
कोठी बैठना– दिवाला निकलना।
खाल उठाय सिंह की स्यार सिंह नहिं होय- बाहरी रूप बदलने से गुण नहीं बदलते।
खरी मजूरी चोखा काम– उचित पारिश्रमिक से ही अच्छा काम होता है।
खूँटा के बल बछड़ा कूदे– दूसरे के बल पर काम करना।
खाक में मिलाना– नष्ट कर देना।
खेल बिगाड़ना– काम बिगाड़ना।
खड़िया में कोयल– बेमेल मिश्रण
खबर लेना– दण्ड देना /देखभाल करना।
खेत रहना– लड़ाई में मारा जाना।
खाक उड़ाते फिरना– भटकना ।
खुशामदी टट्टू होना– चापलूस होना।
खाला का घर– अपना घर / सहज काम।
खुला खेल फर्रुखाबादी- निष्कपट व्यवहार ।
खिल्लियाँ उड़ाना– उपहास करना।
ख्याली पुलाव पकाना– मनमानी कल्पना करना।
खटाई में पड़ना– व्यवधान आ जाना।
खरी खोटी सुनाना– डाँटना फटकारना।
खिचड़ी पकाना– आन्तरिक षड्यन्त्र रचना।
खाक छानना– भटकते रहना।
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